आपकी खोज से संबंधित
परिणाम "kulliyat e qaim volume 002 ebooks"
ग़ज़ल के संबंधित परिणाम "kulliyat e qaim volume 002 ebooks"
ग़ज़ल
लुत्फ़-ए-करम न हो न हो कम है वो क्या 'अता हो जो
काविश-ए-बे-सबब सही कुल्फ़त-ए-बे-तलब सही
रशीद रामपुरी
ग़ज़ल
उठी जो कुल्फ़त-ए-दिल कम हो मेरी कुल्फ़त में
ग़ुबार जैसे कि मिल जाए है ग़ुबार में जा
ममनून निज़ामुद्दीन
ग़ज़ल
जोश मलीहाबादी
ग़ज़ल
हम ने की है तौबा और धूमें मचाती है बहार
हाए बस चलता नहीं क्या मुफ़्त जाती है बहार
मज़हर मिर्ज़ा जान-ए-जानाँ
ग़ज़ल
हम ने सुना था सहन-ए-चमन में कैफ़ के बादल छाए हैं
हम भी गए थे जी बहलाने अश्क बहा कर आए हैं